दिनांक- 10 मार्च 2017 , दिन- शुक्रवार
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अगले दिन सुबह 06:30 बजे नींद खुल गयी। पर्दा हटा खिड़की से बाहर का मौसम देखा तो पाया की रात को बर्फ गिरी थी जो अब पेड़ो और अन्य जगहों पर साफ़ दिखाई दे रही थी। एक-दो फोटो यही से लिए गए। कम्बल छोड़ते ही ठंड लगने लगी। मन में ख्याल आया कि इतनी सर्दी में नहाकर मरना नहीं। नहाने के लिए पूरी ज़िंदगी पड़ी है.....। फिर किसी और दिन नहा लूंगा.....। यही ठंड में बड़बड़ाते हुए ब्रश करने चला गया। लेकिन पानी देख मूंड नहाने का हो गया। पानी बहुत गर्म था और जितना मर्ज़ी उतना इस्तेमाल कर सकते थे। बिना देरी किये नहा लिया और जो ठंड थी अब तक वो भी नहाते ही गायब हो गयी। गर्म पानी में नहाने से शरीर के अंदर तक गर्मी पहुँच गयी जिससे सर्दी लगनी कुछ देर के लिए बंद हो गयी। एक-एक कर सभी तैयार हो गए।