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Monday 7 September 2020

लोकडाउन में दुबई की सैर का यह वीडियो है। जिसमे अंदरूनी दुबई Dubai दिखाने की कोशिश की गयी। यानि बड़ी बड़ी इमारतों वाला दुबई तो सब जानते है। पर असल में दुबई कैसा है। यही इस वीडियो में दिखाने की कोशिश की गयी है। 


नीचे दिए गए लिंक पर क्लीक करे या वीडियो पर  .... 


आशा करता हूँ। कि यह वीडियो आपको पसंद आएगी। 


https://youtu.be/xEmp1Djvhd8  




Monday 1 July 2019


यह वीडियो पनार बुग्याल की है जो सगर गांव से रुद्रनाथ जाने पर रस्ते में पड़ता है। इस मार्ग पर 3 बुग्याल है।  यह सबसे ऊपर वाला बुग्याल है।  यह छोटा सा वीडियो सुबह सूर्योदय के समय बनाया है।





Monday 10 December 2018

देवप्रयाग, उत्तराखंड- Devprayag, Uttrakhand

29 सितम्बर 2017, दिन- शनिवार 


सितम्बर माह में लगातार तीन दिन की छुट्टियों  का योग बना। 30 सितम्बर का दशहरा, 1 अक्टूबर का रविवार और 2 को गांधी जयंती। लगातार तीन छुट्टियों को योग कोई घुमक्कड़ छोड़ दे.... यम्पॉसिबल।। हां बिलकुल ठीक मैंने भी इन छुट्टियों में घूमने की योजना पहले ही बना रखी थी। इस बार मन में था कि ट्रेकिंग की जाए। इसलिए हर की दून जाने पर विचार करने लगा। अपने घुमक्कड़ों के व्हाट्सअप ग्रुप में जब इस बारे में बात की तो वहा जाने का इच्छुक तो कोई नहीं मिला पर अम्बाला के रहने नरेश सहगल जी ने मुझे अपने साथ रुद्रनाथ ट्रेक पर चलने का ऑफर दिया। रुद्रनाथ ट्रेक भी बहुत मनभावन है। और यदि इस ट्रेक के लिए गया तो सहगल जी का साथ भी मिलता। इन बातों से मेरा मन हर की दून से छलांग लगा सीधा रुद्रनाथ पर पहुंच गया। हम दोनों ने जाने की तारीख, मिलने का स्थान लगभग सभी बुनियादी बातें पहले ही तय कर ली थी। अब हम कहाँ जायेगे, कैसे जायेगे इस पर मैंने कोई जानकारी ग्रहण नहीं की। इन सबकी जिम्मेदारी सहगल जी पहले ही ले चुके थे।

Monday 18 June 2018

खेल-खेल में- बरसुड़ी, उत्तराखंड - Khel-Khel me -Barsudi, Uttarakhand

दिनाँक- 13 अगस्त 2017,  दिन- रविवार

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अगली सुबह 6 बजे उठ कमरे से बाहर गया। मौसम भी खुशनुमा था और मन भी। सचिन जी भी उठ गए। जल्दी से तैयार हो, हम सब पंचायत भवन पहुंच गए। आज एजुकेशन कैम्प है, जिसका आयोजन गांव के स्कूल में होना है। जो यहाँ से 2 किलोमीटर नीचे है। सभी को वही जाना है। पंचायत भवन से कुछ सामान लेकर हम भी चल दिए। निरंतर ढलान उतरते रहे और फोटो लेते हुए चलते रहे। बीच में एक छोटे से झरने के दर्शन हुए, जहाँ लोहे का छोटा सा पुल बना हुआ है। झरने से बहुत कम पानी गिर रहा था। अभी कुछ समय बाद बरसात शुरू हो जानी है। तब इसका यौवन भी पुनः लौट आएगा। यहाँ से कुछ आगे जाने पर बरसुडी गांव का प्राइमरी स्कूल आता है। जिनके प्रधानाचार्य जी के घर पर मैं, सचिन भाई और मुस्तफा भाई, हम तीनो ठहरे हुए है। आज यहाँ जरा सी भी हलचल नहीं थी। कारण था कि आज इस स्कूल के भी सभी विद्यार्थी नीचे वाले बड़े स्कूल में ही जा रहे है। आज सभी को वही एकत्रित होना है। हमारी मंजिल भी वही है फ़िलहाल।

Thursday 28 September 2017

सपनों का एक गांव, बरसुड़ी, उत्तराखंड - A village of dreams, Barsudi, Uttarakhand

12 अगस्त 2017 , दिन- शनिवार 



एक दिन बैठे-बैठे फेसबुक चला रहा था, तो एक पोस्ट पर नज़र गई। जिसमें हेल्थ और एजुकेशनल कैंप के बारे में जिक्र था। लेकिन कुछ खास समझ नहीं आने पर अपने घुमक्कड़ मित्र सचिन त्यागी जी से इस बारे में पूछा गया। सचिन भाई ने काफी कुछ बताया और जो थोड़ा बहुत बच गया, वो रमता जोगी जी उर्फ़ बीनू भाई ने बता दिया। उन्होंने बताया कि अलग-अलग राज्यों से 40-50 घुमक्कड़ मित्र मिलकर निस्वार्थ सेवा भाव से गाँव वालो के लिए एक हेल्थ कैंप का आयोजन करते है। जिसमे बरसुड़ी एवं आस पास के गाँव वालों का मुफ्त में चेकअप करते है और कुछ बुनियादी दवाईयां देते है। और साथ-साथ बरसुड़ी में स्थित स्कूल के बच्चों के लिए एक एजुकेशन कैंप का भी आयोजन करते है। इस बहाने सब एक-दूसरे से मिल भी लेते है। ये तो वाकई में बहुत ही अच्छा लगा मुझे और मैंने तुरंत चलने को हाँ कर दी। 

Monday 4 September 2017

कुछ जानकारियां कालका-शिमला टॉय ट्रेन के बारे में - Infromations about Kakla-Shimla Toy Train



अपनी शिमला यात्रा के सभी लेख यूं तो मैं यहाँ पहले ही प्रकाशित कर चुका हूँ। लेकिन इस लेख में केवल कालका और शिमला के बीच चलने वाली टॉय ट्रेन के बारे में ही लिखा है। कालका शिमला टॉय ट्रेन का निर्माण ब्रिटिश काल के सन 1903 में हुआ था। कालका से शिमला तक कुल 18 स्टेशन है। यह लाइन नैरो गेज है जिसकी चौड़ाई मात्र 2.6 फ़ीट है। कालका रेलवे स्टेशन समुद्र तल से 2150 फ़ीट (655 मीटर) पर है। और शिमला रेलवे स्टेशन समुद्र तल से 6082 फ़ीट (2074 मीटर) पर मौजूद है। अपने इस मार्ग पर टॉय ट्रेन 96 किलोमीटर में लगभग 3932 फ़ीट (1143 मीटर) ऊचाई तय करती है। इसको औसतन 41 फ़ीट प्रति किलोमीटर की ऊचाई का सामना करना होता है। 


Friday 4 August 2017

श्री नीलकंठ महादेव मंदिर, पौड़ी गढ़वाल- Shree Neelkanth Mahadev Temple, Pauri Garhwal

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14 मई 2017,  दिन- रविवार 
गंगा स्नान कर नाश्ते की तलाश में कुछ जगह छानी पर सुबह 7 का समय होने की वजह से कही कुछ नहीं मिला। अब ऐसे ही आगे की पैदल यात्रा शुरू कर दी। थोड़ा आगे आने पर एक चाय की दुकान खुली मिली। चाय और बिस्कुट का नाश्ता कर मैं आगे बढ़ गया। समय 7:30 का था। मैं योजना बनाये हुए था कि करीब 4 बजे तक मुझे दर्शन कर वापस नीचे लौटकर आना है। तभी मैं आज समय पर घर पहुँच सकता हूँ अन्यथा नहीं। पर दूसरी तरफ मुझे ये अंदाज़ा लगाना भी मुश्किल लग रहा था कि मैं इतनी जल्दी इस सफर को पूरा कर पाऊंगा या नहीं। मैं श्री नीलकंठ को पहले भी आया हूँ। उस समय नीलकंठ के दर्शन के साथ-साथ, पार्वती मंदिर, झिलमिल गुफा और गणेश गुफा तक भी दोस्तों संग गया था और उसी दिन वापिस ऋषिकेश भी पहुँच गया था। पर अब बात दूसरी है। इन बातों को लगभग 10 साल हो गए। उस समय शारारिक क्षमता और थी तथा अब कुछ और है। इतना समय बीत गया इसलिए खुद पर यकीन कर पाना मुश्किल था पर नामुमकिन नहीं। 

Monday 24 July 2017

ऋषिकेश: गंगा, योग और आयुर्वेद का अनूठा संगम - Unique Confluence of Ganga, Yoga and Ayurveda


ऋषिकेश स्टेशन की खूबसूरती और शांति मन को भा रही थी। लेकिन आगे तो बढ़ना ही था। इसलिए स्टेशन से बाहर निकल एक ऑटो में राम झूला जाने के लिए बैठ गया। सुबह का वक्त था, भीड़ का तो कोई मतलब ही नहीं था। इसलिए 5 मिनट में ही, मैं राम झूला पहुंच गया। 

ऋषिकेश, उत्तराखंड के देहरादून जिले में आता है। यह समुंद्र तल से लगभग 1300 फीट ऊचाई पर है। गंगा वैसे तो गौमुख से निकलती है पर कई छोटी-छोटी नदियों के संगम से इसका रूप और विशाल हो जाता है। ऋषिकेश में हमारी पवित्र गंगा, पहाड़ों की डगमगाती गलियों को पीछे छोड़, सीधे और सरलता से बहना सीख

Monday 3 July 2017

मेरी पहली एकल यात्रा : ऋषिकेश - My First Solo Travel to Rishikesh


13 मई 2017, दिन- शनिवार 




कुछ दिनों से एक किताब पढ़  रहा था। जिसका नाम है "आज़ादी मेरा ब्रांड" जिसमे एक लड़की की यात्रा वृतांत है। जिसने यूरोप के कई देशों की सैर की है और वो भी अकेले (Solo) ही। और वे अकेले यात्रा करके बहुत खुश भी थी। मेरा भी मन ऐसी ही किसी यात्रा की ओर झुकने लगा। किताब पढ़ते-पढ़ते मेरा भी मन हुआ कि क्यों ना मैं भी कभी अकेले यात्रा करू। मेरे अकेले यात्रा का क्या अनुभव रहेगा? मेरी खुशी का पैमाना नीचे को गिरेगा या ऊपर चढ़ेगा ? ऐसे अनगिनत सवालों के जवाब देने को मैं उतावला होता रहा। 

Tuesday 20 June 2017

सिटी फारेस्ट, ग़ाज़ियाबाद का वीडियो (City Forest Video)

सिटी फारेस्ट, ग़ाज़ियाबाद के पिकनिक स्थलों में से एक है। ये राज नगर एक्सटेंशन पर स्थित है। यहाँ आराम से 3-4 घंटे बिताये जा सकते है। यहाँ साइकिल किराये पर मिलती है। इसके अलावा घुड़सवारी, ऊट की सवारी, नाव की सवारी तथा जीप सवारी का आंनद भी ले सकते है। बच्चों के लिए भी बहुत से झूले मौजूद है जैसे - ट्रेन, मिकी माउस, गोल घूमने वाले आदि। इसके अंदर बच्चों के लिए एक एडवेंचर पार्क भी है। यहाँ इन सबका आनंद लेते हुए खाने का लुफ्त भी उठाया जा सकता है। इसके अंदर मौजूदा कैंटीन में चाउमीन, आइसक्रीम, समोसे, छोले-भटुरे जैसी बहुत से आइटम मिलते है। यह वीडियो (फोटो स्लाइड) सिटी फारेस्ट के अंदर लिए गए कुछ फोटों का संग्रह मात्र है। जिसे दिसम्बर 2016 में लिया गया है। कुल मिलाकर ग़ाज़ियाबाद वासियों के लिए ये किसी तोहफे से कम नहीं है। 

Thursday 15 June 2017

दिल्ली चिड़ियाघर का वीडियो - Delhi Zoo Video



यह वीडियो (फोटो स्लाइड) मैंने चिड़ियाघर में स्थित जानवरों पर बनाई है। इसमें हिरन, अफ़्रीकी हाथी, ईमू, ब्राहम्णी चील, अजगर, जगुआर जैसे जंगली जानवर है। इस (वीडियो) छेत्र में अभी मैं नया हूँ।  ज्यादा जानकारी तो नहीं है कि वीडियो कैसे बनाई और एडिट की जाती है। पर जितना पता है उसी के माध्यम से इसे तैयार किया है। इसके अलावा कुछ और वीडियो तैयार की गयी है जो मेरे ब्लॉग पर ही आपको मिल जाएगी। यू-ट्यूब पर मेरे पेज "मैं मुसाफ़िर (Main Musafir)" पर जा कर भी आप मेरे द्वारा बनाई गयी सभी वीडियो देख सकते हो। 

Monday 12 June 2017

हिमाचल राज्य संग्रहालय, शिमला- Himachal State Museum, Shimla

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दिनांक- 12 मार्च 2017, दिन- रविवार 


संग्रहालय जाते समय जब हम नीचे चौराहे पर वापस लौटे तो यहाँ मेरी नज़र एक सुचना पट पर गयी। जिस पर हिमालयन बर्ड पार्क लिखा था। .... जब सामने ही पार्क है तो इसे नज़रअंदाज़ करने का तो कोई सवाल ही नहीं रहा......। जैसे ही पार्क के गेट पर गए तो दो लोग इसमें से निकले और हमसे कहते हुए जा रहे थे कि इसमें मत जाओ। यहाँ कुछ भी नहीं है देखने को......। हम रुके......पर जल्द ही उनकी बातों को पानी ना देते हुए आगे बढ़ गए। 3 टिकट लिए। 2 हमारे और 1 कैमरे का। हमारा 15 रुपए प्रति व्यक्ति और कैमरे का 25 रुपए का टिकट आया। अंदर वाकई में कुछ खास नहीं था। मोर, जंगली मुर्गे और कुछ बत्तख के सिवाये कोई भी पक्षी नहीं था। 5 मिनट में ही इसे देख बाहर आ गए। पर मन को तस्सली थी कि इसे देख आये। ना देखते तो मन में हमेशा टीस ही रह जाती कि सामने से निकल गए और

Monday 15 May 2017

भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला - Indian Institute Of Advanced Study, Shimla

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दिनांक- 12 मार्च 2017, दिन- रविवार 


एक नई सुबह का हम बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे। जो कमी कल रह गयी उन सबको नई सुबह के साथ जो पूरा करना है। रोज की तरह समय से आँख खुल गयी। गीजर चलाया पर आधे घंटे में भी पानी गर्म नहीं हुआ तो होटल के मैनेजर को बोला। उसने गीजर ठीक कराया तब जाके नाहने को गर्म पानी नसीब हुआ। घर में सर्दी के मौसम में चाहे मैं रोज ना नाहता हूँ.... पर यहाँ ठेठ सर्दी में जरूर रोज नहा रहा था। ये बात शायद भगवान को भी रास नहीं आयी...  तभी मौसम खुलने का नाम नहीं ले रहा। मैनेजर को कमरे के पैसे दे दिए। वही एक परिवार मिला जो आज ही शिमला आया है। वे कालका-शिमला टॉय ट्रेन से आये थे। उन्होंने बताया कि आज ट्रेन अपने सही समय पर कालका से चली है। तभी तो वो लोग 10 बजे के आसपास शिमला पहुँच गए। सबकी किस्मत हमारी जैसी थोड़ा होती है जो 10 बजे 

Monday 8 May 2017

यात्रा का दूसरा पहलू : शिमला - Yatra Ka Dusra Pahalu : Shimla

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दिनांक- 11 मार्च 2017, दिन- शनिवार 

वही हमेशा की तरह सुबह 6 बजे आँख खुल गयी। मैं अपनी इस आदत से बहुत परेशान हूँ। अपने घर पर तो मैं 8 बजे तक भी सो लेता हूँ। पर किसी रिश्तेदारी में या अनजान जगह पर चाहे मुझे रात को कितनी भी देरी से नींद आयें, लेकिन सुबह जल्दी आँख खुल जाती है। चाह कर भी मैं ज्यादा देर तक नहीं सो पाता।  इस पर मुझे अभी काम करने की जरूरत है। खैर तैयार हो 8:30 तक हमने होटल पेर्स्टीज को अलविदा बोल दिया। 


बाहर मॉल रोड़ पर आयें तो अभी दुकानें बंद थी। आसमान में बादलों ने अपने विशालकाय पंख फैला रखे थे जिससे वातावरण में ठंड बनी हुई थी। आज हमे इण्डियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ एडवांस्ड स्टडी देखने जाना था और बाकी बचे समय का

Monday 1 May 2017

मैं और हसीन वादियां शिमला की - Main or Haseen Vadiyan Shimla Ki

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दिनांक- 10 मार्च 2017, दिन- शुक्रवार  


कुछ देर आराम कर फिर से घूमने को निकल गए। होटल से बाहर आये तो अब धूप निकल रही थी। रास्तों पर गिरी बर्फ धूप के कारण पिघलकर बह रही थी जो हमारे गीले जूतों को और गीला कर रही थी। दोपहर के 3 बज रहे थे। टहलते हुए हम फिर से रिज पहुँच गए। यहाँ क्रेन से बर्फ हटाने का काम जोरो से चल रहा था। बर्फ जल्द से जल्द हट सके और सभी घूमने आये लोगों को परेशानी ना हो इसलिए ये काम बर्फ गिरने के बंद होते ही शुरू कर दिया गया था। कितना ख्याल रखा जा रहा है यहाँ हमारा और हमारे जैसे घूमने आये बाकि लोगों का। कुछ देर के लिए तो वी.आई.पी जैसा महसूस हुआ। लगा जैसे हम कोई अफसर या नेता है और ये हमारा हर तरह से ध्यान रखने की कोशिश कर रहे है। कुछ देर के लिए ही सही इन्होने हमे बतलाया कि हम कितने खास है इनके लिए। अच्छा भी है ये। जहाँ की अर्थ